सोने का अंडा बाल कहानियॉ
सोने का अंडा किसी छोटे शहर में गोपाल व सुमन नामक एक दंपत्ति रहते थे। उनके पास एक सुंदर हंसिनी थी ,जो रोज सोने का एक अंडा देती थी। रोज सोने का अंडा मिलने के कारण धन धान्य से भरपूर संपन्न जीवन बिता रहे थे। लेकिन गोपाल बेहद लालची था।वह बिना समय गवाएं और अधिक धनवान बनना चाहता था वह रोज एक अंडा पाने की वजह एक ही बार में सारे सोने के अंडे पा लेना चाहता था। उसने सोचा ,क्यों ना हंसिनी को मारकर उसके पेट से एक दीवार में सोने की सारी अंडे निकाल लिए जाएं। अगले दिन प्रातः जैसे ही हंसिनी ने सोने का अंडा दिया, गोपाल ने लपक कर उसकी गर्दन दबोच ली। लालच में अंधे हो चुके गोपाल ने हंसिनी की गर्दन काट दी और उसके पेट को भी चाकू से चीर दिया। लेकिन उसे कुछ नहीं मिला हंसिनी के पेट में सोने का एक भी अंडा नहीं था। यह देख गोपाल दोनों हाथों से अपना सिर पीटने लगा। अब वह अपने किए पर पछताता रहा था। रोज मिलने वाला सोने का अंडा हाथ से गया तो धीरे-धीरे भिखारी हो गए गोपाल व सुमन।शिक्षा- लालच का फल बुरा ही होता है।
लालची मित्र
किसी गाँव में दो मित्र रहते थे। एक बार उन्होंने किसी दूसरी जगह जाकर धन कमाने की सोची। दोनों यात्रा पर निकल पड़े। रास्ते में जंगल पड़ता था। जब वे जंगल से गुजर रहे थे, तो उन्हें एक भालू अपनी ओर आता दिखाई दिया। दोनों मित्र डर गए। उनमें से एक को पेड़ पर चढ़ना आता था। वह भालू से बचने के लिए पेड़ पर चढ़ गया, पर दूसरा नीचे रह गया। जब उसे भालू से बचने का कोई रास्ता न सूझा तो साँस बंद करके जमीन पर लेट गया। उसने अपनी साँस को इस तरह रोक लिया मानो वह मर गया हो।
भालू उसके नजदीक आया। उसने जमीन पर लेटे हुए मित्र को सूँघा और उसे मरा हुआ जानकर चल दिया। क्योंकि भालू मृत जीव को नहीं खाता जब भालू उसकी आँखों से ओझल हो गया तो वह उठ गया और तब पेड़ पर बैठा मित्र भी नीचे उतर आया। उसने पूछा, “मित्र ! मुझे बेहद खुशी है कि तुम्हारी जान गई। पर एक बात बता, भालू ने तेरे कान में क्या कहा?”
दूसरा मित्र अपने मित्र से पहले ही नाराज था। वह उसे उसकी गलती का अहसास कराना चाहता था इसलिए बोला, “मित्र भालू ने मुझे एक बहुत ही काम की बात कही है। उसने कहा है कि ऐसे मित्र का साथ छोड़ दो, जो मुसीबत के समय तुम्हारा साथ न दे और तुम्हें अकेला छोड़ जाए।” अपने मित्र की बात सुनकर पहला मित्र बहुत लज्जित हुआ।
शिक्षा- सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति में ही होती है।
भालू उसके नजदीक आया। उसने जमीन पर लेटे हुए मित्र को सूँघा और उसे मरा हुआ जानकर चल दिया। क्योंकि भालू मृत जीव को नहीं खाता जब भालू उसकी आँखों से ओझल हो गया तो वह उठ गया और तब पेड़ पर बैठा मित्र भी नीचे उतर आया। उसने पूछा, “मित्र ! मुझे बेहद खुशी है कि तुम्हारी जान गई। पर एक बात बता, भालू ने तेरे कान में क्या कहा?”
दूसरा मित्र अपने मित्र से पहले ही नाराज था। वह उसे उसकी गलती का अहसास कराना चाहता था इसलिए बोला, “मित्र भालू ने मुझे एक बहुत ही काम की बात कही है। उसने कहा है कि ऐसे मित्र का साथ छोड़ दो, जो मुसीबत के समय तुम्हारा साथ न दे और तुम्हें अकेला छोड़ जाए।” अपने मित्र की बात सुनकर पहला मित्र बहुत लज्जित हुआ।
शिक्षा- सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति में ही होती है।
व्यक्तिगत स्वच्छता||बाल गीत||बाल कविता
Pre Child Education (प्री चाईल्ड एजुकेशन ) चैनल के माध्यम से बच्चों ( प्री प्रायमरी और प्रायमरी ) को क्रियात्मक गतिविधि आधारित शिक्षा प्रदान करने की कोशिश कर रहे है। जो बच्चो के मानसिक विकास में सहायक होगी। इस के अलावा बच्चों को कक्षा के अन्य विषय भाषा, अंक ज्ञान, क्रियात्मक, रचनात्मक, पर्यावरण आदि विषय से सम्बंधित जानकारियॉ भी प्रदान की जावेगी जो बच्चों के स्कूल शिक्षा में सहायक होगी। बच्चों को इस चैनल पर गतिविधि, बालगीत, बाल साहित्य, कहानियॉ, आदि के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की कोशिश की गई है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spam link in the comment box.