बातचीत -
- रंग - बच्चों से बातचीत में पूछें आज लाल रंग के कपड़े कौन पहन कर आया है। यदि कोई भी लाल रंग के कपड़े पहन कर नहीं आया हो तो पूछें। आपकी मम्मी कौन से रंग की बिंदी लगाती है। गुलाब का फूल किस रंग का होता है। गैंदा कौन से रंग का होता है। पत्तियाॅ किस रंग की होती है। आम और पपीता किस रंग का होता है। और कौन सी चीज लाल, पीले, हरे, रंग की होती है। ऐसे ही अन्य रंगों पर भी बच्चों से बात करें।
- वारिश - बच्चों से पूछें आपने बादलों की आवाज सुनी है। बच्चे कहेंगे हां तो आप पूछें कि बादल कब गरजते हैं। कैसे गरजते हैं। जब बादल गरजते हैं तो क्या होता है। वारिश कैसे आती है। बंूदे कैसे गिरती हैं। बारिष में भीगना किसको अच्छा लगता है। वारिश में ज्यादा भीगने से क्या होता है। बीमार पड़ने पर क्याा होता है। वारिश में कौन सी चीजें आती है। ककड़ी, भुट्टा आदि।
- स्वतंत्रता दिवस - बच्चों को बताएं कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। यह भी बताएं कि स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है? बच्चों को बताएं इस दिन हमारा देष स्वतंत्र हुआ था। यह हमारा राष्ट्र त्यौहार है। इस दिन हम आंगनवाड़ी/स्कूल में झण्डा फहराते है। राष्ट्रगान गाते है। फिर सब बच्चों को मिठाई बांटी जाती है। इसलिए इस दिन सभी बच्चों को सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर साफ कपड़े पहन कर आंगनवाड़ी/स्कूल आना चाहिए।
- तिरंगा झण्डा - बच्चों को बताएं कि हमारे देश का झण्डा तीन रंग का हैं। इसलिए इसे हम तिरंगा झण्डा कहते है। यह झण्डा हमारे देश की पहचान है। सभी को तिरंगे का सम्मान करना चाहिए। इसको प्रणाम करना चाहिए। कभी भी इसको पैरों के नीचे नहीं आने देना चाहिए इससे झण्डे का अपमान होता है।
- स्वतंत्रता दिवस - 15 अगस्त के दिन बच्चों को स्कूल/आंगनवाड़ी में आमंत्रित करें। गांव/मोहल्ले के गणमान्य नागरिकों तथा बच्चों के अभिभावकों को भी आंमत्रित करें। बच्चों से झण्डा फहराएं। झण्डे को प्रणाम करवाएं।
देश भक्ति गीत बच्चों से गाने के लिए कहें।
तीन रंग का अपना झण्डा।
कहते इसे तिरंगा झण्डा।
आसमान में है लहराता।
तीनों रंगों में है फहराता।
हरा, सफेद केसरिया रंग में।
रंगा हुआ है अपना झण्डा।
लहर लहर लहराए झण्डा।
फहर फहर फहराए झण्डा।
6. राखी - बच्चों से पूछें कि आपको पता है राखी का त्यौहार आने वाला है। आदतन बच्चे कहेंगे हां। फिर बच्चों से पूछें कि राखी पर क्या करते हैं। बहनें भाइयों को राखी बांधती हैं। भाइयों को मिठाई खिलाती हैं। भाई बहनों को उपहार देते हैं। जैसे बहने भाइयों को राखी बांधती है वैसे ही भाइयों को भी बहनों को राखी बांध कर मिठाई खिलानी चाहिए। इस त्यौहार को मनाने से भाई-बहन के बीच प्यार बढ़ता है।
बच्चों से पूछें आप किसकों राखी बांधती/बांधते हैं/ आप किससे राखी बंधवाते/बंधवाती हैं। आपके पापा को कौन राखी बांधता है। आपकी मम्मी किसको राखी बांधती हैं। कुछ लोग भगवान को भी राखी बांधते हैं क्योंकि भगवान हमारी रक्षा करते है।
7. फूल - बच्चों को कोई फूल या उसकी तस्वीर दिखा कर पूछें यह क्या है? बच्चे फूल का नाम बता पाएं तो उन्हें नाम बताएं। यदि बता दे तो उसका रंग कैसा होता है। उसका आकार कैसा होता है। उसकी खुषबू कैसी होती है। आदि प्रष्न पूछें। इसके बाद दूसरे फूल के बारे मेें बात करें। बारी-बारी सभी फूलों के बारे में तथा उनके रंगों के बारे में बच्चों से बातचीत करें। पूछें फूलों का हम क्या करते हैं। बताएं - माला बनाते हैं, भगवान को पहनाते है। किसी का स्वागत या सम्मान करना हो तो उसे फूल देते है। घर को सजाने के लिए भी हम फूलों का इस्तेमान करते है। गुलाब के फूल की गुलकंद बनाई जाती है। फूलों से दवाइयां भी बनती है।
कहानी -
कौआ और चिड़िया
एक था कौआ, एक थी चिड़िया। कौआ दिन भर उड़ता, फिरता, नाचता, घूमता, कांव कांव करता था।
चिड़िया रोज जंगल में, खेतो में, घरों मेें जाती, आने के बाद मेहनत करती। कौआ कहता चिड़िया बहन चिड़िया बहन कहां जा रही हो?
चिड़िया - जंगल में।
कौआ - क्यों
चिड़िया - तिनका लाने
कौआ - तिनके का क्या करोगी?
चिड़िया - घोंसला बनाऊंगी बारिष जो आने वाली है। कौआ दादा तुम घोंसला नहीं बनाओगे?
कौआ - अभी बारिष का मौसम तो दूर है। तब तक नाचता, उड़ता रहूंगा।
चिड़िया - नहीं-नहीं फिर घोंसला कैसे बनाओगे।
कौआ - चिड़िया बहन आज कहां जा रही हो?
चिड़िया - खेतो में
कौआ - क्यों?
चिड़िया - कपास लाऊंगी। घोंसले में लगाऊूगी, बच्चों के लिए नरम-नरम गद्दी बनाऊंगी, तुम नहीं बनाओगे? कौए ने कहां - ऊं हूं।
दूसरे दिन फिर चिड़िया को जाते देख पूछा- आज कहां जा रही हो।
चिड़िया - केतन के घर
कौआ - क्यों?
चिड़िया - बच्चों के लिए दाना लाऊंगी।
एक दिन खूब जोर से हवा चली। आंधी चलने लगी और जोर से बारिष होने लगी। कौआ पानी में भीगने लगा। ठण्ड से कांपने लगा, सोचने लगा अब क्या करूं? हाॅ, चिडिया बहन के यहां ही चलता हॅू, उसने तो सुंदर घोंसला बनाया है।
‘‘फडफड़, फड़फड़‘‘ - चिड़िया बेन, चिड़िया बेन दरवाजा, खोलो। मैं भीग गया हूॅ। मुझे अंदर आने दो ना।
चिड़िया - ऊंह, दरवाजा खोलूगी तो मेंरे बच्चों को ठण्ड लग जाएगी। अंदर पानी आ जाएगा। मैं दरवाजा नहीं खेालूगी मेंरे बच्चे सोए है जग जाएंगे।
कौआ - खोलो न दरवाजा प्लीज चिड़िया बहन।
चिड़िया - अच्छा खोलती हूॅ, धीरे से आना नही ंतो बच्चे जग जाएॅगे, और एक वादा करो तु भी अपना घोंसला बनाओगे।
कौआ - हाॅ मैं वादा करता हॅू।
फिर चिड़िया दरवाजा खोल देती है। फिर खिचड़ी बनाती है। फिर दोनों ने गरम-गरम खिचड़ी खाते हैं? कौआ कहता है - मैं भी तुम्हारे जैसा घोंसला बनाऊॅगा, फिर गरम-गरम खिचड़ी बनाकर तुम्हें खिलाउंगा।
मुनिया का छाता -
एक लड़की थी नाम था मुनिया।
मुनिया के पास एक लाल रंग का छाता था मुनिया उसे हर समय अपन पास रखती थी।
एक दिन मुनिया सो रही थी।
मुनिया के छाते ने सोचा मौका अच्छा है आज तो मैं अकेले घूमकर आउंगा।
अभी वह थोड़ी दूर ही गया था। खूब जोर से बारिष शुरू हो गई, छाता खुल गया और चलता रहा। उसे बारिष देखकर बड़ा मजा आ रहा था। वह मजे से घूमते हुए एक तालाब के पास पहुंच गया।
उसने देखा कि मेढक पानी में भीग रहा है। छाते ने कहा - अरे अरे तुम बारिष में कितने भीग रहे हो। ज्यादा भीगोगे तो तुम बीमार हो जाओंगे। तुम्हें सर्दी हो जाएगी। आओ में छाता हॅू तुम मेंरे नीचे आ जाओंगे तो भीगोगे नहीं।
मेढक हॅसन लगा और उसने फुदक कर पानी में छलांग लगाई। और कहने लगा कि मुझे बारिष में भीगना अच्छा लगता है। मैं बारिष शुरू होते ही मैं टर्र टर्र गाने लगता हूॅ।
छाते ने कहा कोई बात नहीं तुमको अच्छा लगता है तो तुम भीगो मुझको क्या मैं तो चला। छाता आगे बढ़ गया। थोड़ी दूर जाने पर उसने देखा कि एक मोर पानी में भीग रहा है। वह जल्दी - जल्दी उसके पास पहुंचा और बोला आओ मैं छाता हूॅ तुम मेरे नीचे आ जाओगे तो भीगोगे नहीं।
मोर ने कहा - मुझे वारिश में भीगना अच्छा लगता है क्योकि वारिश आती है तभी तो काले बादल आते हैं और मैं बादलो को देख कर नाचना शुरू कर देता हॅू।
छाता आगे बढ़ा रास्ते में कुछ बच्चों पानी में भीग रहे थे। छाता उनके पास पहुंचा अरे बच्चों तुम बारिष में क्यों भीग रहे हो तुमको सर्दी जुकाम हो जायेगा तुम्हारी तबियत खराब हो जायेगी। आओ मैं छाता हूॅ तुम मेंरे नीचे आ जाओगे तो भीगोगे नहीं।
सब बच्चे एक साथ बोले - छाता भैया हमें वारिश में खेलना बहुत अच्छा लगता है। तभी तो हम वारिश में खेल रहे है।
छाता फिर आगे बढ़ा - उसने देखा कि एक बूढी अम्मा पेड़ के नीचे बैठी है और वारिश से बचने की कोशिश कर रही है। छाता उसके पास पहुंचा और बोला कि बूढी अम्मा-बूढी अम्मा मैं छाता हूूॅ। आप मेरे नीचे आ जाओगी आप भीगोगी नहीं।
बूढ़ी अम्मा खुश हो गई। और छाते के नीचे आ गई।
छाते ने पूछा अम्मा आपको कहां जाना है मैं आपको आपके घर पहुंचा देता हॅू। अम्मा ने छाते को घर का पता बताया दोनों घीर-धीरे चलते हुए। अम्मा के घर पहुंच गए। अम्मा ने छाते को खूब सारा आर्शीवाद दिया।
कविताएं/नृत्य गीत
रंग के दुपट्टों से लहराने का नृत्य
हवा में उड़ता जाए मेंरा लाल दुपट्टा देखो जी - मेरा लाल दुपट्टा देखो जी हो हो ..........
लहर-लहर लहराए मेरा लाल-दुपट्टाा देखो जी - मेरा लाल दुपट्टा देखो जी हो हो.....
लाल रंग है सबको प्यारा - सबसे न्यारा,
लाल-लाल मैं भी हो जाऊॅ सबके मन को मैं भी भाऊॅ मैं भी ऐसा कुछ कर पाऊॅ
मुझे बतादो मेरा यारा, लाल रंग क्यों सबको प्यारा
मत उदास हो मेरे यारा सेब टमाटर खाते जाना, अपना खून बढ़ाते जान,
लाल-लाल तुम भी हो जाना,
हवा में उड़ता जाए मेरा हरा दुपट्टा देखो जी - मेंरा हरा दुपट्टा देखो जी हो हो....
लहर-लहर लहराए मेरा हरा दुपट्टा देखो जी - मेंरा हरा दुपट्टा देखो जी हो हो....
हरा रंग क्यों सबको प्यारा, मुझे बताना मेरे यारा
हरी सब्जियां कितनी प्यारी। देखो-देखो कितनी सारी.....
लौकी गिलकी, भिण्डी तोरी, इनकी क्यों तू खाती छोरी
इनसे ही मैं लम्बी गोरी,
हवा में उड़ता जाए मेरा पीला दुपट्टा देखो जी-मेरा पीला दुपट्टा देखो जी हो हो...
लहर-लहर लहराए मेरा पीला दुपट्टा देखो जी-मेरा पीला दुपट्टा देखो जी हो हो...
पीला रंग क्यों सबको प्यारा, मुझे बताना मेरे यारा
आम, पपीता पीला-पीला, देखो आम रसीला यारा
मुंह में पानी लाए यारा, खाए बिना क्यूं रह न पाएं यारा
काजल से नहीं नैन सजीले, खाओ हरी सब्जियां फल-फल पीले-पीले
सभी रंग है कितने प्यारे लहर-लहर लहराएं ये सभी दुपट्टे देखो जी हो हो.......
हवा में उड़ते जाए ये सभी सभी दुपट्टे देखो जी हो हो....
नोट - बच्चों को नृत्य गीत का अभिनय एक-एक रंग के बारे में एक दिन अभिनय सिखाएं ताकि वे उसे याद कर सकें।
पानी बाबा
पानी बाबा आए है। ककड़ी भुट्टा लाए हैं।
पानी बाबा आए हैं। सबके मन को भाए हैं।।
3द्ध पानी तथा वर्षा के गीत
आए काले-काले बादल, लगते बहुत निराले बादल।
आसमान में दौड़ लगाते, कभी ठहरते गाना गाते।।
कभी-कभी बिजली चमकाते।
पानी भर-भर लाते बादल। प्यास बुझाते काले बादल।
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