prechildeducation
उद्देश्य -
- माता पिता व समुदाय को बच्चों के विकास के लिए संवेदनशील बनाना तथा उन्हें बच्चों की वृद्धि निगरानी में जोड़ना।
- माता पिता व समुदाय की बच्चों के विकास को लेकर निम्न विषयों पर सामान्य जानकारी बढ़ाना -
- बच्चों में उम्र अनुसार होने वाली वृद्धि एवं विकास के सूचकांक
- शुरूआती वर्षो में बच्चों की देखभाल
- अनौपचारिक खेल एवं गतिविधियों के द्वारा प्री प्रायमरी शिक्षा की विधियां।
- माता-पिता को उनके बच्चे की बढ़त, विकास एवं सीखने की स्थिति को नियमित रूप से बताना एवं उनकी काउंसलिंग (परामर्श देना) करना।
- माता पिता व समुदाय का आंगनवाडी केन्द्र के विकास में सक्रिय भागीदारी के लिए अवसर पैदा करना।
- आंगनवाडी में दी जाने वाली प्री प्रायमरी शिक्षा (शाला पूर्व शिक्षा) को बढ़ावा देना।
प्रक्रिया -
- प्रतिमाह की 25 तारीख को प्रत्येक स्कूल, संस्थाओ, एवं आंगनवाडी केन्द्र ‘‘बाल चैपाल‘‘ मनाएगा। यदि यह दिन मंगलवार, टीकाकरण दिवस या छुट्टी के दिन होगा तो यह आयोजन एक दिन पहले किया जाएगा।
- यह आयेाजन सामान्यतः आंगनवाडी केन्द्र पर ही किया जाए, जगह की कमी है तो इसे स्कूल परिसर में किया जाएगा। आयोजन के लिए स्थान का चयन करते समय निम्न बिन्दु ध्यान में रखे जाएं -
- खुला स्थान या कक्ष - बच्चों के द्वारा तैयार की गई सामग्री के प्रदर्षन के लिए।
- मंच जैसा ऊंचा स्थान - बच्चों के द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली गतिविधियों के लिए।
- खुला स्थान - बच्चों की दौड़, माता-पिता की गतिविधियों के लिए।
- खुला स्थान या कक्ष - माता-पिता से परिचर्चा एवं बच्चों के विकास संबंधी मुद्दो पर चर्चा के लिए।
- प्रत्येक माह की थीम पर आधारित गतिविधियाॅ की जाएॅगी।
- ‘‘बाल चैपाल‘‘ पर अभिभावकों से निम्न बिंदुओं पर समय-समय पर चर्चा की जाएगी।
- शिशु देखभाल की आवश्यकता तथा प्री प्रायमरी पढाई का महत्व।
- प्रारंभिक वर्षो में वृद्धि विकास के चरण (माइलस्टोन), विकास में देरी तथा विशेष आवश्यकता के प्रारंभिक लक्षण।
- घर में देखभाल के दौरान बच्चों को शुरूआती प्रोत्साहन एवं प्रेरणा।
- खेल का महत्व अच्छी आदतों का विकास, स्कूल जाने की तैयारी।
- शिशु शिक्षा एवं देखभाल में अभिभावकों एवं समुदाय की भूमिका।
‘‘बाल चैपाल‘‘ दिवस पर की जाने वाली कार्यवाही -
- चयनित गतिविधि अनुसार बच्चों द्वारा बनाए गए चित्र माॅडल आदि उनके नाम के साथ माता - पिता के देखने के लिए प्रदर्शित करना।
- चयनित परिचर्चा बिन्दु से संबंधित पोस्टर, षिक्षण सामग्री, संचार सामग्री प्रदर्शित करना।
- जहाॅ टी.वी./ प्रोजेक्टर आदि की व्यवस्था हो सकती है - विषयवस्तु से संबंधित फिल्में दिखाना।
- माता-पिता के साथ गतिविधि करना जिससे वह अपनी सहभागिता को लेकर उत्साहित हों।
- ‘‘अटल बाल मित्र‘‘ का सम्मान करना, उन्हें बच्चों के द्वारा तैयार किया गया धन्यवाद पत्र व चित्र भेंट करना।
- मता-पिता को बच्चों के प्रगति-पत्र एवं गतिविधि पुस्तिका के साथ उनके विकास की जानकारी देना, उनकी काउंसलिंग करना। काउंसलिंग से अभिप्राय - सभी बच्चे एक दूसरे से भिन्न होते है, तथा उनकी अलग-अलग आदतें होती है। कई बार माता-पिता किन्हीं बिन्दुओं पर जानकारी चाहतें है, जिसे वह सबके सामने नहीं पूछ सकते। इसके लिए व्यक्तिगत काउंसलिंग देनी चाहिए, जिससे माता-पिता अपने बच्चों को वह वातावरण दे सकें। साथ ही बच्चे प्रगति के बारे में सभी के सामने बताने में असहज महसूस कर सकते है तथा उनमें हीन भावना आ सकती है।
- ‘‘बाल चैपाल‘‘ आयोजन की समयावधि - यह कार्यक्रम 2 - 3 घंटे का होगा। इस कार्यक्रम का समय दोपहर 12 से 3 बजे के मध्य रखने का प्रयास किया जाएगा, जिसमें विषयवार निम्नानुसार समय बांटा जा सकता है तथापि आवष्यकता अनुसार गतिविधियों के समय को कम या ज्यादा किया जा सकेगा।
- बच्चों की गतिविधियों के लिए आधा घंटा।
- अभिभावकों के लिए आधा घंटा।
- चर्चा के लिए आधा घंटा।
- बच्चों के विषय में माता-पिता से व्यक्तिगत काउंसलिंग के लिए डेढ़ घंटा।
‘‘बाल चैपाल‘‘ के आयोजन के सहभागी -
- आंगनवाडी कार्यकर्ता, आंगनवाडी सहायिका, झूलाघर कार्यकर्ता, अतिरिक्त आंगनवाडी कार्यकर्ता, उप आंगनवाडी केन्द्र की कार्यकर्ता (यदि वह आंगनवाड़ी केन्द्र पर कार्य कर रही है) ई.सी.सी.ई, प्री प्रायमरी शिक्षक - शिक्षिका यदि संबंधित आंगनवाडी के क्षेत्र में कोई हो तो।
- किशोरी बालिका/सबला, सखी सहेली इस कार्यक्रम के आयोजन में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की सहायता करेगी।
- ग्राम स्वास्थ्य तदर्थ समिति के सदस्य, स्वास्थ्य कार्यकर्ता ए.एन.एम, एल.एच.वी., आशा कार्यकर्ता।
- पंचायती राज संस्था, ग्राम शिक्षा समिति, मातृ सहयोगिनी समिति।
- संबंधित क्षेत्र में काम करने वाली स्थानीय संस्थाएं/ प्राथमिक शाला के शिक्षक, पालक शिक्षक संघ के सदस्य।
- माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी, वरिष्ठ नागरिक आदि।
- क्षेत्रीय ‘अटल बाल मित्र‘, स्थानीय कारीगर, शिल्पकार एवं स्थानीय कलाकार समुदाय के गणामन्य व्यक्ति।
- महिला मण्डल के पदाधिकारी, यूथ क्लब नेहरू युवक केन्द्र के पदाधिकारी।
- समुदाय एवं माता-पिता के साथ आंगनवाड़ी केन्द्र में विभिन्न संसाधन जैसे खेलकूद का सामान बर्तन, दरी, रंगीन, पेन आदि जन सहयोग से जुटाया जा सकता है। अटल बाल मित्र से इसके लिए विशेष सथानीय तौर पर अन्य को प्रेरणा देने के लिए कहा जाएगा। इस सहयोग की जानकारी स्टाक पंजी में पृथक जन सहयोग मद में रखी जाएगी। इसका प्रारूप् निम्नानुसार रहेगा।
दिनांक - समग्री का नाम - मात्रा/संख्या - प्रदायकर्ता टिप्पणी
- ‘‘भागीदारी पुरस्कार‘‘ आयोजन मे भाग लेने वाले सभी बच्चों को प्रोत्साहन स्वरूप् कुछ न कुछ पुरस्कार समुदाय द्वारा वितरित किए जाएगें।
परिणाम -
इन दिशा—निदेर्शो के अनुरूप नियमित रूप से प्रतिमाह ‘‘बाल चैपाल‘‘ आयेाजित करने के निम्न सार्थक परिणाम आएंगे। इन्हें निम्नानुसार मापा जा सकेगा -
क्रमांक - आधार बिन्दु मापदण्ड
1 समुदाय में शाला पूर्व षिक्षा का महत्व। आंगनवाड़ी में बच्चों के नामांकन में बढ़त।
2 गतिविधि आधारित षिक्षा की समझ। बच्चों की नियमित उपस्थिति में बढ़त।
3 आयु अनुरूप विकास की समझ। स्थानीय एवं सस्ती सामग्री का अधिक से अधिक प्रयोग।
4 समुदाय की सक्रिय भागीदारी। जनसहयोग की मात्रा।
5 माता-पिता की सक्रिय भागीदारी। बाल-चैपाल में उपस्थिति एवं भागीदारी।
10. बाल-चैपाल की विषय वस्तु एवं सुझाावात्मक गतिविधियाॅ -
- प्रत्येक बाल-चैपाल की एक थीम होगी, जिसे प्रत्येक माह की 25 तारीख को बड़े धूमधाम एवं साझेदारी के साथ मनाया जाएगा। प्रत्येक बाल चैपाल में निम्न बिन्दु आवष्यक रूप से जोड़े जाएॅगे -
क्र गतिविधि सुझावात्मक बिन्दु
1 आंगनवाड़ी केन्द्रो पर प्रदर्शन। बच्चों के चित्र, माॅडल आदि, इसके अतिरिक्त परिचर्चा बिन्दु से संबंधित पोस्टर।
2 बालकेन्द्रित गतिविधियां। दौड़, खेल, नाटक, ड्रामा, गीत, कहानी, कविता, आदि।
3 माता-पिता केन्द्रित गतिविधियां। रंगोली प्रतियोगिता, खेल-कूद प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता आदि।
4 परिचर्चा। विषय-विशेषज्ञनों से बच्चों के विकास से संबंधित।
5 व्यक्तिगत चर्चा। माता-पिता को बच्चों की प्रगति एवं उनसे संबंधित बिन्दुओं पर समझाइश।
6 जन्मदिन। उस माह में जन्में बच्चों का सामूहिक जन्म दिन मनाना।
7 शिशु विकास कार्ड।
पलकों (माता-पिता एवं अभिभावक) से आयु वर्ग विशेष पर फोकस कर चर्चा।
8 शिशु शिक्षा जुड़ी गतिविधियां। शिशु शिक्षा जुड़ी गतिविधियों की सघन निगरानी।
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