कहानी/कविता/ड्रामा/समूह गीत देखने/सुनने के बाद बच्चों के मन में बहुत से विचार आते है उनके मन में कई कल्पनाएं उड़ान लेने लगती है। उनके चिंतन को बढ़ावा देने के लिए बड़े समूह की गतिविधियों के बाद बच्चों को कुछ समय के लिए स्वतंत्र खेलने के लिए छोड़ देना चाहिए। बच्चे स्वेच्छा से कुछ खेल खेलना चाहते हैं, जिसमें वे किसी का हस्तक्षेप नहीं चाहते। अपने आप में बड़बड़ाते रहते है और खेलते रहते हैं।
उद्देश्य —
- उसके अंदर एकाग्रता का विकास होता है।
- उसे अपने अंदर छुपी हुई प्रतिभाओं को उभारने के अवसर मिलते हैं।
- बच्चे को समूह में की गई गतिविधियों को अपने आप के साथ दोहराने के अवसर मिलते है जिससे वे उसकी स्मृति में स्थाई छाप छोड़ देते है।
क्रियाएं —
कहानी/कविता/ड्रामा सुनने/देखने के बाद बच्चे को स्वतंत्र छोड़ने के साथ ही उसके द्वारा की जा रही गतिविधियों का बच्चे से बिना कुछ कहे अवलोकन करना चाहिए। हो सकता है बच्चा कविता/कहानी/ड्रामा के पात्रों से संबंधित खिलौनों से खेलने का प्रयास करे। हो सकता है कविता/कहानी/ड्रामा को बड़—बड़ाकर खेलते हुए दोहराए। हो सकता है किसी पात्र विशेष की नकल करे। हो सकता है कहानी को मन से आगे बढ़ाने का प्रयास करे या यह भी हो सकता है कि बच्चा कहानी को छोड़ कर कोई अन्य गतिविधि करे जैसे — सीढ़ी पर चढ़ना उतरना, फर्श/दीवारों पर गोदा—गादी, अंगुली के खेल, हाथ के छापे लगाना, कार्यात्मक गीत, कागज फाड़ना, पहिए वाले खिलौनों से खेलना, वस्तुओं या खिलौनों की जगह अदल—बदल कर देखना। पेंटिग, ड्राइंग, सीढ़ी चढ़ना उतरना, झूला झूलना आदि।
सभी बच्चों को अपनी पसंद से जो खेलना चाहते है खेलने दें। यदि कुछ बच्चे समूह में स्वतंत्र खेल खेलते हैं तो खेलने दें। बच्चे जिस भी गतिविधि में संलग्न है कार्यकर्ता को बच्चे की आवश्यकता के अनुरूप उसे संकेत देना चाहिए ताकि आगे वह स्वयं कर सके।
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