बड़े समूह की गतिविधियां Group Activities

  • बातचीत - 

  1. मैं और मेरा परिवार
  2. बच्चों से पूछे - 
  3. ‘‘आपका नाम क्या है?
  4. ‘‘आपके परिवार में कौन-कौन है?
  5. बच्चें बताएंगे, ‘‘मां पिताजी, भैया, दीदी।

 फिर पूछें - 

  1. ‘‘मां आपके लिए कया करती है?‘‘
  2. ‘‘पिताजी आपके लिए क्या करते है?‘‘
  3. ‘‘घर के अन्य सदस्य आपके लिए क्या-क्या हैं?‘‘
  4. ‘‘आप अपने घर के लोगों के लिए क्या-क्या करते है?‘‘
  5. ‘‘घर में दादा-दादी हो तो आप उनकी मदद करते हैं? क्या-क्या करते है? कैसे करते हैं।‘‘ आदि पूछ सकते हैं।
  6. इसी तरह बच्चों से परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में भी बातचीत की जा सकती है। जैसे - चाचा-चाची, बुआ, मौसी, मामा-मम्मी, नाना-नानी आदि।  

घर के प्रकार और घर के कमरे 

बच्चों से पूछें -
‘‘आप कहां रहते है।‘‘ बच्चे कहेंगे घर में।
फिर पूछें ‘‘ आपका घर कैसा है? कच्चा या पक्का?
‘‘घर में कौन‘-कौन से कमरे होते हैं?
बच्चे न बता पाएं तो पूछें ‘‘बच्चों से पूछे खाना कहाॅ बनता हैं?
‘‘नहाते कहां पर है?‘‘
बच्चे न बता पाएं तो पूछें ‘‘बच्चों से पूछे खाना कहां बनता है?
‘‘नहाते कहां पर हैं?‘‘
‘‘षौच कहां जाते है?‘‘ कुछ बच्चे कह सकते है कि हमारे घर में तो शौच स्थान अलग से नहीं है तो उन्हें बताएं कि जिनके घर में शौचालय नहीं होता वे खेत में शौच जाते हैं?

 घर का सामान 

बच्चों से पूछे -
‘‘आपके घर में क्या-क्या सामान हैं?
बच्चे बता सकते हैं। बर्तन, पलंग, पंखा, कुर्सी टेबल, अलमारी, सोफा, गैस चूल्हा, मिट्टी का चूल्हा, मटका, आदि।
फिर बच्चों से बारी-बारी से पूछें कि बर्तन किस काम आते हैं?, पलंग का कया करते है?
ऐसे ही सभी वस्तुओं के उपयोग के बारे में बातचीत करें।
हो सकता है कि कुछ बच्चे कहें कि हमारे घर में तो सोफा या ऐसी सामान नही तो उन्हें बताएं कि लोगों के घर में अलग-अलग सामान भी होता है।

हमारी स्कूल, झूलाघर, आंगनवाड़ी

बच्चों को बतायें कि आपके आंगनवाड़ी केन्द्र का नाम क्या है?
वहां का पता क्या है?
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक/शिक्षिका का नाम क्या है?
बच्चे आंगनवाड़ी में क्यों आते हैं?
उन्हें बतायें कि यहां पर उन्हे कहानी, कविता, खेल, ड्राइंग, पेंटिंग सिखाई जाती है।
उन्हें अच्छी-अच्छी बातें बताई जाती है।
यहां पर उन्हें उनके दोस्त और सहेलियां मिलती हैं।
यहां पर गाना और नृत्य भी सिखाते हैं।
आंगनबाडी, स्कूल, झूलाघर में आकर हमें अपनी शिक्षक/शिक्षिका को नमस्ते करनी चाहिये। उनका कहना मानना चाहिये।
सभी चीजों से सभी बच्चों को मिल जुलकर बारी-बारी से खेलना चाहिये।
कभी भी दूसरे बच्चों से झगड़ा नहीं करना चाहिये।
आंगनवाड़ी को गंदा नहीं करना चाहियें।
जो चीज जहां से उठायें खेलने के बाद वहीं रखना चाहिये। कोई भी चीज तोड़ना नहीं चाहिये।
अपने दोस्तों और सहेलियों की मदद करनी चाहिये।
यदि कोई बाहर के लोग स्कूल, झूलाघर, आंगनवाड़ी में आये तो उन्हें नमस्ते करना चाहियें।
स्कूल, झूलाघर, आंगनवाड़ी आते और जाते समय सड़क पर ध्यान से चलना चाहिये। शैतानी नहीं करनी चाहियें।
यदि कोई मोटर गाड़ी निकल रही है तो उसके सामने नहीं दौड़ना चाहिये।
हमेशा अच्छे से बात करनी चाहिये।

हमारा शरीर -

बच्चों को उनके शरीर के अंगों के बारे में पूछें -
कार्यकर्ता अपने हाथ बच्चों को दिखा कर पूछे ‘‘ये क्या है?‘‘ बच्चे कहेंगे हाथ। बच्चों से कहें - सभी बच्चे अपने हाथ दिखाओं।
‘‘हाथ कितने होते है।‘‘
‘‘हाथ से हम क्या करते हैं?‘‘
हम चलते किससे से है? - पांवों/पैरों से। हमारे पावं/पैर कितने होते है
आंखों से हम क्या करते हैं। आंख पर हाथ रखकर देखो क्या होता है।
क्या आपको भूख लगती है? फिर आप क्या करते है?
खाना कहां से खाते हैं।
आपके दांत कहां हैं?
अच्छे खाने की खुशबू कहां से आती है?
आपको आवाज कहां से सुनाई देती है?
सिर कहां है?
बाल कहां है?
आप कंघी कैसेे करते हो?
आदि बातचीत बच्चों से की जा सकती है।

  • शौच के लिए शौचालय का प्रयोग 

बच्चों से पूछे शौच कब जाते हैं। बच्चे कह सकते हैं सुबह कुछ बच्चे कह सकते हैं, जब इच्छा होती है तब जाते है।
  1. बच्चों को बताएं कि रोज सुबह उठने के बाद शौच जाना चाहिए। 
  2. बच्चों से पूछें शौच कहां जाते है? कुछ बच्चे कह सकते हैं कि खेत में/सड़क के किनारे/लेट्रिन या शौचलय में। 
  3. बच्चों को बताएं कि शौच के लिए हमेषा शौचालय (लेट्रिन) में ही जाना चाहिए। 
  4. खुले में शौच कभी भी नहीं जाना चाहिए। 
  5. बच्चों से पूछें कि आपको पता है खुले में शौच क्यों नहीं जाना चाहिए? संभवतः बच्चे कहेंगे नहीं।
बच्चों से पूछें कि आपने मक्खी देखी है। ज्यादातर बच्चें कहेंगे हाॅ। फिर उनसे पूछें कि वह कहां बैठती हैं, बच्चे कह सकते हैं, गंदी चीजों पर/ खाने की चीजों पर/मीठी चीजों पर आदि। बच्चों से पूछें आपने मक्खी को शौच पर बैठे देखा है। बच्चे कह सकते हैं हाॅ। यदि नहीं कहें तो उनसे पूछे यदि आप खुले में शौच जाते हैं तो मक्खी आती है। बच्चे कहेंगें हाॅ। फिर वह आपके शौच पर बैठती हैं कि नहीं बच्चे कहेंगे हाॅ।
फिर बच्चों को बताएं मक्खी जब शौच पर बैठती है तो उसके पैरों में मल (गंदगी) लग जाती है। फिर मक्खी वहां से जाकर आपके खाने की चीजों पर बैठ जाती है तो उसके पैरों की गंदगी खाने की चीज पर लग जाती है, और यदि हमव ह खाना खा लेते हैं तो गंदगी हमारे मुंह में चली जाती है। बच्चों को अभिनय के माध्यमसे छी-छी कितनी गंदी बात है न। इससे हम बीमार पड़ जाते हैं। इसलिए हमें हमेंषा शौच के लिए शौचालय में ही जाना चाहिए। यदि किसी के घर या गांव में शौचालय नहीं हो और मजबूरी में खुले में शौच जाना हो तो शौच पर बहुत सी मिट्टी डालकर ढंक देना चाहिए ताकि उस पर मक्खी न बैठे।
इसी तरह पेषाब पर बैठन के बाद भी मक्खी खाने के चीजों पर बैठती है तो खाने की चीजें खराब हो जाती हैं। इसलिए पेषाब भी हमेंषा पेषाब के लिए बने स्थान पर करना चाहिए तथा उसके बाद पानी डालना चाहिए।
स्कूल, झूलाघर, आंगनवाड़ी में भी भवन में बने शौचालय/मूत्रालय का ही उपयोग बच्चों को करना चाहिए।

  • हाथ धोना - 

  1. सभी बच्चों को पोषण आहार खिलाने से पहले रोजाना लाइन लगाकर हाथ धुलवाए जाने चाहिए। साफ कपड़े से हाथ पांेछने के बाद लाइन से बैठा कर भोजन परोंसें। परोसने के बाद बच्चों को हाथ जोड़कर, आँख बंद करके प्रार्थना करवाएं। 
  2. बच्चों से पूछें जब आंगनवाडी में भोजन करते हों तो उससे पहले क्या करते हैं। बच्चे कह सकते हैं, प्रार्थना करते है, फिर पूछे उससे पहले क्या करते हैं? बच्चे कह सकते हैं, हाथ धोते है। 
  3. यदि बच्चे नहीं बता पाएं तो आप बताएं कि हाथ धोते है। फिर बच्चों से पूछें हाथ क्यों धोते हैं? बच्चों को बताएं हाथों पर धूल मिट्टी लग जाती है, जो हाथ धोने से साफ हो जाती है।  
  4. बच्चों को बताएं जब हम कहीं बाहर से खेल कर, घूम कर या स्कूल आंगनवाड़ी से घर जाते हैं तो हाथ-पैर धोना चाहिए। 
  5. जब हम लेट्रिन होकर आते हैं तो हमें साबन या राख से अच्छे से हाथ धोने चाहिए। नाखूनों को भी अच्छे से साफ करना चाहिए, नही तो उनमें गंदगी रह जाती है। 
  6. कुछ अच्चे अपनी नाक में उंगली डालते हैं यह गंदी बात होती है यदि हमारा हाथ नाक में चला जाए तो उसे धोना चाहिए। 
  7. जब हमें जुकाम लगता है तो नाक बहती है। उसे साफ करने के बाद भी हाथ धोना चाहिए। कुद बच्चे अपनी बांह से नाक साफ करते हैें। यह गंदी आदत होती है। हमें अपने साथ साफ रूमाल या कपड़ा रखना चाहिए। उससे ही नाक पोंछनी चाहिए। 

  • शरीर की साफ-सफाई - 

बच्चों को किसी नहाते हुए व्यक्ति की तस्वीर, कैलेण्डर या चार्ट दिखाकर पूछें इस तस्वीर मेें क्या दिख रहा है। बच्चों के अलग-अलग जवाब हो सकते हैं। पूछें तस्वीर में बच्चा या आदमी कया कर रहा है बच्चे कह सकते हैं नहा रहा है। फिर बच्चों से पूछें नहाना अच्दी बात है कि नहीं। बच्चे कहेंगे हाॅ। कोई बच्चा किसी दूसरे बच्चे के बारे में कह सकता है कि वह नहीं नहाता। बच्चों से पूछे-नहाने से क्या होता है, फिर बच्चों को नहाने के फायदे बताएं। नहाने से हमारे शरीर की मैल निकल जाती है। हमारे शरीर में फुर्ती आ जाती है। हमें रोज नहाना चाहिए। नहाते समय सभी अंगो की अच्छे से सफाई करनी चाहिए। नहाने के बाद साफ तौलिये या कपड़े से शरीर को पोंछना चाहिए। फिर साफ कपड़े पहनने चाहिए। कुछ बच्चे नहाने में रोते हैं। उन्हें बहादुर बनना चाहिए, नहाते समय रोना नहीं चाहिए। साबुन लगाते समय आंखे बंद कर लेना चाहिए ताकि आंख में साबुन न पहुंचे। सिर धोने के बाद बालों को भी अच्छी तरह से पोंछना चाहिए।

कहानी - 

1. कहाॅ बनाऊं अपना घर 

रेलगाड़ी का एक इंजन था। एक दिन एक चिड़िया आई और उस पर अपना घोंसला बनाने लगी। इंजन बोला - चिड़िया तुम अपना घोंसला यहां मत बनाओं। मैं बहुत तेज दौड़ता हॅू और मेंरे भीतर आग जलती है। तुम्हारा घोंसला उड़ जाएगा और तुम जल जाओगी। तुम अपना घोंसला कहीं और बना लो।
चिडिया बस के पास गई और छत पर अपना घोंसला बनाने लगी। बस बोली चिड़िया तुम अपना घोंसला यहां मत बनाओं। लोग छत पर सामान रखते हैं। तुम्हारा घोंसला दब जाएगा। ऐसा करो तु तांगे के ऊपर अपना घोंसला बना लो।
चिड़िया तांगे के पास गई। और उस पर अपना घोंसला बनाने लगी। तांगा बोला चिडिया चिड़िया। जब घोड़ा दौडता है तो मैं बहुत हिलता हॅू। तुम्हारा घोंसला गिर जाएगा। तुम पिंकी की साइकिल पे अपना घर बना लो।
चिडिया पिंकी की साइकिल पर अपना घोंसला बनाने लगी। साइकिल बोली, ‘‘चिड़िया चिडिया तुम अपना घोंसला कहीं ओर बना लो। पिंकी मुझे बहुत तेज चलाती है। और बच्चें भी मुझे छेड़ते रहते हैं। बच्चे तुम्हारा घेांसला तोड़ देंगे।
‘‘तो फिर में अपना घोंसला कहां बनाऊं?‘‘ चिड़िया ने पूछा। साइकिल बोली, तुम अपना घोंसला पेड़ पर क्यों नहीं बनाती? चिड़िया को यह बात अच्छा लगा, चिड़िया पेड़ की ओर उड़ गई। और उसने अपना घोंसला पेड़ पर बना लिया।

2. राजू 

एक था राजू। वह बहुत गंदा रहता था। उसके माता पिता, भाई बहन, दादा दादी सभी उसे बहुत प्यार करते थे। सभी उसे बहुत समझाते थे बेटा गंदे रहना अच्दी बात नही होती। पर राजू है कि किसी की मान्यता ही नहीं था। नहाने के नाम पर रोने लगता कोई न कोई बहाना बना देता। राजू के पास बहुत से खिलौने थे। वह उनसे रोज खेलता था। वह अपने हाथ-पैर धोए बिना ही खेलने लगता। खिलौनों में एक बड़ा गुड्डा था। उसने दूसरे खिलौनों से कहा कि राजू बहुत गंदा रहता है। अब हम उसके साथ नहीं खेलेंगे। सबने मिलकर कहा - हाॅ हाॅ अब हम उसके साथ नहीं खेलेंगे।
छूसरे दिन जब राजू खेलने आया तो रेल ने चलना बंद कर दिया। भालू ने नाचना बंद कर दिया। बंदर ने ढपली बजाना बंद कर दिया। उसका बस्ता भी इधर उधर बिखरा पड़ा था। वह भी उससे बात नहीं कर रहा था। राजू यह सब देखकर उदास हो गया। वह एक कोने में जाकर बैठ गया। उसी कोने में एक बाबाजी की मूर्ति थी। उसने राजू को आवाज दी। राजू इधर-उधर देखने लगा। वह खुष हो गया कि उसके खिलौनों ने उसे आवाज दी। परंतु राजू ने देखा तो वे सब तो वैसे ही बैठे थे। उसने फिर इधर-उधर देखा तो बाबाजी ने उसे अपने पास बुलाया। बाबा जी ने पूछा राजू तुम उदास क्यों हो। राजू ने कहा मेंरे खिलौने आज मेंरे साथ खेल नही रहे है। इसलिए मैं उदास हॅू। बाबा जी ने कहा - खिलौने तुमसे नाराज हैं इसलिए बात नहीं कर रहे हैं। राजू ने पूछा - क्यों नाराज हैं। बाबा जी ने कहा - तुम गंदे रहते हो इसलिए सब तुमसे नाराज है। तुम चाहो तो साफ और अच्छे रह सकते हों।  देखो तुम्हारे स्कूल, झूलाघर और आंगनवाड़ी का टाइम हो गया है। और तुमने अभी तक नहाया भी नहीं है। तुम चाहो तो जल्दी से उठकर नहा लो फिर अपने खिलौनों से भी खेल सकते हो। इतना सुनकर झट से राजू अपनी मां के पास गया और बोला - माॅ माॅ मुझे जल्दी से नहला दो। राजू झटपट नहा धोकर तैयार होकर खिलौनों के पास पहुॅचा। राजू ने देखा कि सब खुषी से उसका स्वागत कर रहे है। बंदर मामा ढपली बजा रहे है। रेलगाड़ी छुक छुक कर चल रही है। भालू गुड़िया टोनी आदि खिलौने भी नाच गा रहे हैं। राजू खुष हो गया उसने खिलौनो से कहा - ‘‘ अभी मेरा स्कूल/झूलाघर/आंगनवाड़ी जाने का टाइम हो गया है। मैं स्कूल/झूलाघर/आंगनवाड़ी से लौट कर खेलूंगा। तबसे राजू रोज नहाने लगा।
3. दादी मां रात हो गई पंकज ने अपनी बहन सुमित्रा से कहा, चलो दादा से कहानी सुनते है। सुमित्रा बोली हाॅ भैया चलो कहानी सुनते है।
दोनों दादी के कमरे में गए। पर ये क्या वहाॅ दादी तो थी ही नहीं। सुमित्रा बोली -‘‘ भैया दादी कहाॅ गई?‘‘ दोनो ने पूरे घर में ढूंढा। पर दादी नहीं मिली। दोनो बहन-भाई मां के पास गए और पूछा- माॅ, माॅ दादी कहाॅ गई हैं?‘‘ मां बोली, अपने पिताजी से पूछो। दोनो बहन भाई पिताजी के पास गए - पिताजी पिताजी दादी कहाॅ है?‘‘ पिता जी ने कहा - ‘‘मुझे तो पता नही अपनी चाची से पूछो। बच्चों ने चाची से पूछा चाची ने कहा - ‘‘अपने चाचा से पूछो मुझे तो पता नहीं दादी कहाॅ गई हैं?‘‘ बच्चों ने अपने चाचा से पूछा चाचाजी आपको पता है क्या दादी कहाॅ गई है? चाचा ने बताया - ‘‘दादी आज आप दोनों से गुस्सा है।‘‘ नन्ही सुमित्रा ने कहा - नहीं दादी हमसे गुस्सा नहीं है? आप बताओं न दादी कहां है?‘‘ चाचा ने कहा दादी आपसे सच मे गुस्सा है। पंकज ने पूछा, ‘‘क्यों चाचा ने कहा - तुमने आज दादी का कहना जो नहीं माना।
पंकज ने इठला कर कहा - ‘‘कब नहीं माना?‘‘
चाचा ने कहा - ‘‘ तुमने आज नन्हीं चिड़िया का घोंसला तोड़ था न। इसलिए दादी नाराज है। यह सुनकर दानों बच्चे थोड़ी देर सोचते रहे फिर दोनों ने तय किया कि वे अपनी दादी को मनाएंगे। उन्होंने चाचा से पूछा - ‘‘चाचा दादी कहाॅ है हमें बता दो न। हम उन्हें मना लेंगे।‘‘ चाचा ने बताया दादी दादा जी के कमरे में है। दोनों भागे-भागे वहाॅ पहॅुचे। देखा दादी गुमसुम बैठी है। दोनो से एक साथ पुकारा ‘‘दादी दादी हमसे गुस्सा हो क्या?‘‘ दादी ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर बच्चों ने कहा‘‘
हम अपने कान पकड़ते हैं हमें माफ कर दो।‘‘ दादी फिर भी नहीं बोली। बच्चों ने कहा ‘‘अच्छा हम चिड़िया का घेांसला बना देंगें फिर तो आप मान जाओगी। दादी मुस्कुराई तुम लोग कैसे बना दोगे बताओं तो भला। बच्चे थोड़ी देर सोचते रहे -‘‘ अच्छा हम अब कभी भी कोई भी घोंसला नही तोडेंगे।‘‘
दादी ने पूछा ‘‘प्राॅमिस करते हो।‘‘ (वादा करते हो) बच्चों ने कहा सच्ची प्राॅमिस। और पंकज उछल कर दादी की गोद में बैठ गया और सुमित्रा दादी से लिपट गई।

कविताएँ -

1. ये हैं मेरे अच्छे पापा ये है मेरी प्यारी माॅ।
ये हैं मेरे अच्छे पापा, ये है मेरी प्यारी माॅ।
ये है भैया लंबा वाला, ये है बहना गाती ला ला ऽऽऽऽ।
ये है मेरा छोटा भैया, नाचें गाएं ता ता थैय्या।।
नोट - कविता को फिंगर पपेट (उंगली वाली कठपुतली), या बच्चों को मम्मी, पापा, भैया, बहन बना कर करवाया जा सकता है। कविता को बच्चों को बार-बार दोहरा कर बताएॅ।
2. लाला ने लोरी देके सुलावा छैः
लाला ने लोरी देके सुलावा छैः
लाला फुदक-फुदक कर रोवे छैः।
झूला-डाल सुलावा छैः।
मलवा को भात घणों मीठो,
लाला को खिलावा छैः।
छाछ में डाल खिलावा छैः।
साथ मे हम भी खावा छैः।
लाला चैन से निंदिया लेवे छैः।
लाला ने लोरी देके सुलावा छैः।

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