2 बड़े समूह की गतिविधियां (Group Activities)-

जिन क्रियाओं में बच्चों से सामूहिक भागीदारी की अपेक्षा हो उन्हें बडे़ समूह की गतिविधियों में करवाया जाना चाहिए। बड़े समूह की गतिविधियों मे बच्चों को कहानी गीत, कविता, नाटक, समूह खेल, त्यौहार, जन्मदिन, समूह गीत/समूह नृत्य आदि गतिविधियां करवाई जाती हैं। बच्चों को जिस गतिविधि को करवाया जाना है उससे संबंधित सवाल जवाब करते रहना चाहिए। जैसे यदि आज कविता/कहानी सुनानी है तो उनसे पूछना चाहिए आपको पता है आज हम कौन सी कहानी सुनेंगे। कुछ बच्चे आदतन कहेंगे हां! कुछ बच्चे कहेंगे नहीं! कुछ बच्चे पूछ सकते हैं आप बताओं! और कुछ बच्चे अपने मन से किसी भी कविता/कहानी का नाम ले सकते हैं।

उद्देश्य - 

  1. दूसरों की बातों को ध्यान पूर्वक सुनने और समझने के अवसर प्रदान करना। 
  2. बच्चों की झिझक खत्म करना तथा खुषी का अहसास दिलाना। 
  3. बच्चों में अच्छी आदतों के विकास कराना। 
  4. निर्देशों के अनुसार काम करने के अवसर उपलब्ध कराना।
  5. समूह में विभिन्न कार्यो में सहयोंग करने के अवसर उपलब्ध कराना। 
  6. अपनी बारी का इंतजार करने का धैर्य विकसित करने में सहयोग प्रदान करना। 
  7. अपनी भावनाओं को व्यक्त करने तथा आवष्यकतानुसार उन पर नियंत्रण करने के अवसर प्रदान करना। 
  8. स्व-अनुशासन विकसित करना। 
  9. आत्म निर्भरता विकसत करना। 
  10. उन्हें जिज्ञासु बनाना। 

खेल क्रियाएं - 

गीत, कविता, कहानी - गतिविधियों के आयोजन के समय षिक्षक/षिक्षिका को भी बच्चों के साथ ही उसी कुर्सी, चटाई, दरी या आसन पर बैठना चाहिए जिस पर बच्चे को बैठाया जा रहा है। पुस्तक पढ़कर सुनाने गाना गाने/ कविताएं सुनने सुनाने आदि के लिए बच्चों गोल घेरे में बैठाए जाने से सभी बच्चे एक दूसरे को हाव-भाव सहित आसानी से देख सकते हैं। इस समय षिक्षक/षिक्षिका की भूमिका सहजकर्ता के रूप में होनी चाहिए। अर्थात् बच्चों को बताने के बाद उन्हें खुद से करने के अवसर ज्यादा देने चाहिए। जहां बच्चों को बार-बार प्रयास करने को बाद भी कठिनाई अनुभव हो वहां बच्चों को बताना चाहिए कि उन्हें क्या करना है। 

नाटक/ड्रामा/नकल - 

नाटक करने के लिए बच्चों को विभिन्न वेष भूषा, मुखोटै, या बच्चों को जो भूमिका दी गई हो उसकी तखती गले में लटका कर नाटक करवाना चाहिए। 
बच्चों को दूसरों की नकल करने में बहुत मजा आता है। उन्हें विभिन्न भूमिकाएं स्वीकार करने में भी संकोच नही होता। नकली वस्तुओं का प्रयोग करके नाटक करने में आनंद का अनुभव करते है। बच्चे जो भी अनुभव करते हैं, जो भी देखते हैं, नाटक/नकल में उन्हीं शब्दों का उच्चारण, हाव-भाव प्रदर्षित करते है, और वह भूमिका प्रदर्षित करते हैं जिसकी वह भूमिका निभाते हैं। 
परिवार के सदस्यों की नकल। जैसे - घर में खाना कौन बनाता है उसकी नकल करके बताओं, मम्मी को नानी के घर जाना हो तो कैसे तैयारी करती है। दादा जी ख्ेात में या घूमने जाते हैं तो कैसे जाते हैं। दादी पूजा कैसे करती है। दीदी पढ़ाई कैसे करती है। पापा अपने काम पर जाते समय कैसे जल्दी मचाते हैं, षिक्षक/षिक्षिका, आंगनवाड़ी दीदी आपको कैसे सिखाती हैं आदि - आदि। 
इस तरह की गतिविधियों के लिए यदि हो सके तो बच्चों को थोड़ी ऊंचाई पर चबूतरे या तखत पर गतिविधियां करवाई जानी चाहिए ताकि अन्य बच्चे उसे आसानी से देख सकें साथ ही ध्यान रखा जाना चाहिए कि मंच/तखत इतना बड़ा तथा समतल हो कि बच्चे उस पर गतिविधि करते समय गिरें नहीं। 

वार्तालाप - 

किसी विषय विषेष के आधार पर बच्चों से बातचीत को निर्देषित वार्तालाप कहलाता है। विषय विषेष के आधार पर की गई बातचीत से बच्चे उस विषय की विस्तृत समझ विकसित कर पाते है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, षिक्षक/षिक्षिका को वार्तालाप के लिए अनुकूल वातावरण पैदा करना चाहिए। जैसा कि वार्तालाप शब्द से ही स्पष्ट होता है कि यह दो तरफा बातचीत है। अर्थात् आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के साथ बच्चे भी बातचीत बराबरी से सहभागी होकर सवाल जवाब करेंगे। बच्चों के अंदर उत्सुकता और कौतुहल पैदा करने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। विभिन्न प्रयोग करने के अवसर देकर उनमें नई-नई रूचियां पैदा करनी चाहिए। 

समूह खेल/ समूह गीत - 

सामूहिक खेल बच्चों को धीरे-धीरे अपने व्यवहार को नियंत्रित करना सिखाते हैं, नियमों का पालन, अपनी बारी का इंतजार करना, पूर्व निर्धारित नियमों की संरचना का पालन सिखाते हैं। इन खेलों का उद्देष्य खेल में प्रतिस्पर्धा का भाव या हार जीत न होकर आनंद की प्राप्ति होना चाहिए। 
बच्चों को समूह में गीत/अभिनय गीत करवाए जाने से उनकी झिझक दूर होती है, एक दूसरे के साथ लय और ताल के साथ गतिविधिया करना सीखते हैं। 

त्यौहार, जन्मदिन/महत्वपूर्ण दिवस - 

बच्चों को सामाजिक एवं प्रादेषिक तथा राष्ट्रीय संस्कृति तथा सामान्य रीति रिवाजों से परिचित कराने के लिए केंद्रों, संस्थाओं, आंगनवाड़ी केंद्र पर त्यौहारों का आयोजन किया जाना चाहिए। बच्चों को जिस माह में जो त्यौहार आते हैं उन्हें कैसे मनाते है, क्यों मनाते हैं, उस दिन कौन सी मिठाईयां बनाई जाती है, आदि से अवगत कराया जाना चाहिए। जैसे - 

धार्मिक त्यौहार - 

मकर सक्रांति, दिवाली, महा षिवरात्री, बसंत पंचमी, होली, गुड़ी पड़वा, राम नवमी, महावीर जयंती, डाॅ अम्बेडकर जयंती, बैसाखी, परषुराम जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, ईदउल फितर, रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, दषहरा, दिवाली, गुरू नानक जयंती क्रिसमस आदि। 
स्थानीय स्तर पर आयोजित किए जाने वाले त्यौहारों का आयेाजन विषेष रूप से किया जाना चाहिए। स्थानीय त्यौहार, भगोरिया, गणगौर। 

प्रदेशिक एवं राष्ट्रीय त्यौहार - 

गणतंत्र दिवस, (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गांधी जयंती (2 अक्टूबर), मध्यप्रदेष स्थापना दिवस (1 नवम्बर)।

महत्वपूर्ण दिवस - 

बच्चों को जन्म दिन, शिक्षक दिवस (5 सितम्बर), बाल दिवस (14 नवम्बर) बच्चों का सामूहिक रूप से जन्म दिन मनाए जाने से उन्हें उनके स्पेषल होने का अहसास दिलाया जाने से वह अपने प्रति सम्मान एवं स्वाभिमान के अहसास से परिचित होता है। लोग उसे कितना महत्व देते है इससे उसमें सामाजिकता का भाव विकसित होता है। जिस बच्चे का जन्मदिन हो उसे दूसरे बच्चों तथा षिक्षक/षिक्षिका के द्वारा तिलक किया जा सकता है। बच्चे अपने हाथ से फूल, गुलदस्ता, खिलौना या ड्राइंग बना कर बच्चे को दे कर जन्मदिन की बधाई दे सकते हैैै। हो सके तो जन्म दिन से संबंधित कोई गीत/नाटक/ड्रामा आदि भी करवाया जा सकता है। 

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