मॉ (बाल कविता)

बड़े सबेरे उठकर पहले,     
हमकों रोज जगाती मॉ।
बात बड़ों की सुना करो तुम,
हमको रोज सिखाती मॉ।।
मीठा बोलो, सच — सच बोलो,
यह सिखलाती मॉ।।

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