9 भोजन एवं बच्चों को उनके घर (अभिभावकों) तक पहुॅचाना Food and transporting children to their home (parents)-

भोजन - 

बच्चों को बाहरी गतिविधियों के पश्चात् बताया जाना चाहिए कि अब खाना खाऐंगें। बाहरी गतिविधियों धूल मिट्टी में होती हैं इसलिए सब बच्चों को साबुन से मुंह, हाथ पैर धोकर लाइन से टाटपट्टी पर बैठने के लिए कहें।
बच्चों से पूछे कि आपको पता है। आज खने में क्या आया है। कुछ बच्चे हां तथा कुछ बच्चे नहीं बोल सकते हैं। फिर बच्चों को बताएं कि हां आज हम .......................(खाने में उपलब्ध कराई जाने वाली वस्तुओं का नाम) खाएंगे।
खाने के लिए सब बच्चों को लाइन से बैठाया जाना चाहिए तथा बारी-बारी से सब बच्चों को खाना परोसें। परोसने के बाद बच्चों को हाथ जोड़कर आंख बंद करके प्रार्थना करवाएं।

भोजन से पूर्व प्रार्थना - 

‘‘विनती सुन लो हे भगवान।
अन्न हमें जो दिया है दान।।
स्वास्थ्य हमारा अच्छा हो।
ईष तुम्हारी जय-जयकार।।

सभी बच्चों से आंखे खोलने को कहें, उसके बाद भोजन शुरू करवाएं। यदि हो सके और उपलब्ध हों तो बच्चों को चम्मच से खाने के लिए प्रेरित करें।
खाना खाते हुए बच्चों को बताया जाना चाहिए कि थोड़ी चीज मुंह में रखकर अच्छे से चबा कर खाना खाएं। इससे खाते समय चीज गिरती नहीं हैं, कपड़े भी गंदे नहीं होंगे।
खाना खाने के बाद सभी बच्चों को हाथ धुलवाएं। साफ कपड़े से हाथ पोंछने को कहे।

बच्चों को उनके गंतव्य तक पहुंचाना - 

खाना खाने के बाद बच्चों की छुट्टी की जानी चाहिए। 

  1. बच्चों को स्कूल, आंगनवाड़ी केन्द्र से घर पर पहुंचाने का दायित्व सहायिका का है। 
  2. सभी बच्चों के जूठे बर्तन समेट कर रखने के बाद सहायिका को रोजाना बच्चों केा उनके घर तक सुरक्षित छोड़ने जाना चाहिए। 
  3. स्कूल, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को छुट्टी के समय केन्द्र के द्वारा पर बच्चों बिदा करना चाहिए। बच्चों से कहना चाहिए आप कल भी जरूर आना अपनी नई कहानी और गीत कविताएं सुनेंगे। आज आपने स्कूल, आंगनवाड़ी में जो सीखा उसे जा कर अपने मम्मी-पापा, दादी-दादा, दीदी-भैया को सुनाना। नमस्ते बाय-बाय, टाआ कह कर बच्चों को बिदा करना चाहिए। 
  4. सहायिका को बच्चों को उनके धर छोड़ने जातेे समय भी बच्चों से बडे प्यार और स्नेह से दुलार कर अपने साथ छोड़ने जाना चाहिए। इससे बच्चों को अपने पन का अहसास होता है तथा उन्हें खुषी मिलती है। सहायिका बच्चों को उनके घर छोड़ते समय कहना चाहिए मैं तुम्हें लेने कल भी आऊंगी अच्छे बच्चों की तरह जल्दी से तैयार मिलना। बच्चों से पूछे ठीक है। बच्चे भी ठीक है कहेंगे या सहमति में सिर हिलाएंगे। 
  5. यदि कुछ माता-पिता/अभिभावक बच्चों को स्कूल, आंगनवाड़ी केन्द्र पर खुद लेने आते हैं तो उनके साथ भी बच्चों को बिदा करते समय कार्यकर्ता को बच्चे की तारीफ उनके माता पिता के सामने करनी चाहिए तथा बच्चें से कहना चाहिए कि कल भी समय से आना हम तुम्हारा इंतजार करेंगें।

बच्चों को उनके घर छोड़ के आने के बाद - 

  1. सहायिका को केन्द्र की सामग्री कार्यकर्ता के मार्गदर्शन में व्यवस्थित रख कर केन्द्र की साफ-सफाई करनी चाहिए। 
  2. तत्पश्चात बर्तनों की सफाई करनी चाहिए। 
  3. बच्चों के लिए शौचालय आदि की व्यवस्था हो तो वहां भी पानी तथा फिलाइन आदि डाल कर सफाई की जानी चाहिए। 
  4. कार्यकर्ता को निर्धारित दिवसों के अनुसार पोषण परामर्श, मंगल दिवस, वृद्धि निगरानी, सबला/किशोरी बालिका योजनांतर्गत परामर्श तथा गृह भेंट आदि से संबंधित कार्य करने चाहिए। 
  5. तत्पश्चात अभिलेखोें का संधारण किया जाना चाहिए। 

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