संतुलित आहार की परिभाषा एवं विशेषता
शारीरिक बनावट या आकार — लम्बे या मोटे शरीर के लोगों को छोटे एवं दुबले लोगों की अपेक्षा अधिक भोजन की आवश्यकता होती है। शरीर भार पर भोजन की मात्रा अधिक निर्भर करती है। लम्बे व्यक्ति के शरीर से ताप का अपव्यय नाटे व्यक्ति की अपेक्षा अधिक होता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति को अधिक भेाजन की आवश्यकता होती है। लिंग — स्त्रियों को पुरूषों की अपेक्षा कम भोजन की आवश्यकता होती है, क्योकि स्त्रियों की लंम्बाई एवं भार पुरूषों की अपेक्षा कम होता है। उन्हें शारीरिक परिश्रम कम करना पड़ता है ।परंतु गर्भावस्था एवं स्तनपान अवस्था में उन्हें अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है । आयु—बच्चों को युवा एवं प्रौढ़ व्यक्तियों की अपेक्षा कम भोजन की आवश्यकता होती है, क्योकि वे अधिक क्रियाशील होते हैं एवं उनका शारीरिक विकास होता है। भेाजन से उन्हें केवल शक्ति् एवं गर्मी ही प्राप्त नहीं होती, बल्कि उनका शारीरिक विकास भी होता है। खेल—कूद में अधिक शक्ति का हा्स होता है। एक 14 वर्ष का बालक एक युवा के बराबर भोजन करता है। उनके भेाजन में निर्माणक तत्व (प्रोटीन) की अधिक आवश्यकता होती है। बाल्यावस्था एवं वृद्धावस्था में शारीरिक संवेदनशीलता बढ़ जाने के कारण सुरक्षात्मक तत्वों की आवश्यकता होती हैं, क्योकि शारीरिक परिश्रम कम होता है एवं पाचन—क्रिया कमजोर हो जाती है, इसलिए ऊर्जा की कम आवश्यकता होती है।
जलवायु — ठंडे प्रदेशो में रहनेवालो को गर्म प्रदेशो की अपेक्षा अधिक भोजन की आवश्यकता होती है, क्योकि शरीर ताप को बढ़ाने के लिए उन्हें अधिक कैलोरियों की आवश्यकता रहती है। उनके भेाजन में वसा प्रोटीन की मात्रा अधिक होनी चाहिए। ऊष्णता—प्रधान देशों में कार्बोहाइड्रेट अधिक प्रयोग किया जाता है। जाड़े के मौसम में भूख अधिक लगती है, अधिक भोजन किया जाता है एवं शरीर भार भी बढ़ जाता है। इसलिए ऐसे मौसम में घी, मक्खन, मेवे आदि अधिक खाने की इच्छा होती है। गर्मी के मौसम में ताप उत्पन्न करने वाले भोजन कम पचते है, भूख कम लगती है एवं शरीर का भार कम हो जाता है। सर्दियों में मौसम में ऊष्मा के रूप में ऊर्जा लेने के कारण ही अधिक भोजन की आवश्यकता होती है।
संतुलित भोजन नहीं लेने से हानियॉ —
संतुलित आहार नहीं लेने से निम्नलिखित हानियॉ होती है —1. शरीर में रोगरोधन — क्षमता क्षीण हो जाती है जिस कारण अनेक प्रकार के रोगों के होने की संभावना रहती है।
2. शरीर की मांसपेशियॉ उचित रूप से विकसित नहीं हो पाती हैं।
3. भूख कम लगती है। हर समय आलस्य, थकान एवं नींद आती है।
4. शरीर दुर्बल एवं पीला दिखाई देने लगता है ।
5. थोड़ा भी शारीरिक परिश्रम करने के बाद अधिक थकान का अनुभव होने लगता है।
6. आँखे पीली—पीली दिखाई देती है एवं कमजोरी का अनुभव होने लगता है।
7. शरीर का पूर्ण विकास नहीं हो पाता हे।
8. संतुलित आहार के आभाव में बच्चों का मानसिक विकास अवरूद्ध हो जाता है।